मटमली सी,
चादर में,
लिपटी,
एक औरत.
तर तर,
कपड़ो में,
सिमटी,
एक औरत.
पत्थर पे, सड़को पे,
नंगे पाव ,
चलती एक औरत.
भावहीन,
बड़ी बड़ी आँखे,
बेजान सी नजरो से,
बहुत कुछ,
कहती,
एक औरत.
ठिठुरती,
जनवरी की,
ठण्ड में,
आग के लिए,
आग सी जलती,
एक औरत.
जीने के लिए,
जीवन के लिए नही,
समाज की खातिर,
पग पग जुल्म,
सहती,
एक औरत.
टूटती, बिखरती,
और फिर,
सीमेटति हुई खुद को,
हसती ,
एक औरत.